Savita Pradhan एक आम लड़की से IAS अधिकारी तक की कहानी |
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 Published On Aug 11, 2023

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जोश UPSC Podcast के मंच से हमने ऐसी बहुत सी personalities से उनके UPSC के सफ़र की जोश से भरी कहानी सुनी, जिनको सुनकर यक़ीनन हमारे अंदर भी अपने सपनों के लिए संघर्ष करने का जज़्बा भर गया। कहानियों के इसी क्रम में आज अपनी UPSC की जर्नी हमारे साथ शेयर कर रही है सुनीता प्रधान जी। हमे इस बात का पूरा यक़ीन है कि सुनीता जी की संघर्षों से भरी कहानी और उनके हार न मानने का ज़ज़्बा आपकी सोच में सकारात्मक परिवर्तन ज़रूर लाएगा।
सुनीता प्रधान जी मध्यप्रदेश के एक छोटे से गाँव मंडी के आदिवासी समुदाय से आती है। वह अपने गांव से 10वीं बोर्ड परीक्षा पास करने वाली पहली लड़की थीं। उनके स्कूल जाने से माता-पिता को स्कॉलरशिप के 150-200 रुपये मिल जाते थे। इसके बाद उनका एडमिशन 7 किमी दूर एक स्कूल में करवा दिया गया था। जब वो 16-17 वर्ष की थी तभी उनकी शादी उनके मर्ज़ी के ख़िलाफ़ एक बड़े घर में कर दी गयी। शादी के बाद सविता जी का जीवन बिल्कुल बदल गया। शादी के कुछ दिन बाद से ही उनके सुसराल वालों ने उन्हें तरह तरह से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। मारना पीटना, हर रोज़ का गालियां खाना उनके जीवन का एक दुखदायी हिस्सा बन गया था। वो ये सब अकेले ही झेलती रही, उनके पिता ने भी समाज के डर से उनका साथ नहीं दिया। सविता जी ने आखिरकार अपने जीवन को ही समाप्त करने का निर्णय लिया। जब उन्होंने ये निर्णय लिए तब तक वो दो बच्चो की माँ बन चुकी थी। लेकिन एक छोटी सी घटना से उन्होंने आत्महत्या करने के निर्णय को त्याग करके, परिस्थितियों से लड़ने का फ़ैसला लिया। अपने दोनों बच्चों के साथ वो सुसराल छोड़कर अलग रहने लगी, जहां उनकी माँ ने उनका साथ दिया।
इसी दौरान उन्होंने अपने बच्चों को पालने के लिए छोटे छोटे काम किये, साथ ही साथ अपनी पढाई जारी रखी। उन्होंने इंदौर यूनिवर्सिटी से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स किया। अखबार में जॉब की तलाश के दौरान UPSC की परीक्षा के बारे में उनको पता चला और उन्होंने तय कर लिया कि वो इस exam को ज़रूर क्लियर करेंगी। तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी अपनी मेहनत, लगन हार न मानने के जज़्बे के साथ हर मुश्किल का सामना किया। वर्ष 2017 में सविता प्रधान ने यूपीएससी की परीक्षा पास की। उन्हें मध्य प्रदेश के नीमच जिले में सीएमओ का पद मिला। इस दौरान उनका चार महीने का बच्चा था, जिसे लेकर सविता दफ्तर जाया करती थीं।
Savita ji was born in a tribal family in a small village "Mandi" of Madhya Pradesh. She was brought up in a very poor family. Savita ji used to walk with a limp in her childhood. But her courage never stopped walking. She was the first girl in her village who passed 12th. But life's difficulties had just begun. After marriage, she was tortured a lot, killed, beaten, and kept hungry. It had come to the point that she had even thought of hanging herself. But the zeal to stand again takes birth in her and today she is working as the Municipal Commissioner.

Today Savita ji will tell her success story through Josh UPSC Podcast. So do watch this Motivational video of Josh UPSC Podcast Rightnow.

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“ज़िंदगी में कुछ बड़ा करना है, तो जोश का होना बहुत ज़रूरी है.”
ये न केवल हमारी सोच है, बल्कि हमारा विश्वास है. इसी विश्वास के तहत हम हर उस हिस्से से जुड़ने में कामयाब रहे हैं, जहाँ हमारी कहानियां हमारे बीच से उठी और अपने आप में एक मिसाल बन गई.
मिसाल की ऐसी ही बहुत सारी कहानियां हमारे गाँव में भी बसती है.
‘जोश माटी’ के ज़रिये हमारी कोशिश है कि हम गांधी जी के उस हिन्दुस्तान को दुनिया के सामने रखे, जहाँ उन्होंने कहा था कि ‘अगर आप असली भारत को देखना चाहते हैं तो गांव में जाएँ. क्योंकि असली भारत गांव में बसता है.’
जोश माटी के मंच पर हम उसी ग्रामीण भारत की कहानियों को हम तक लाने का प्रयास करेंगे, जो हमारे गाँव में रह कर दूसरे गाँव के लिए मिसाल होंगी.

और हां! अगर हमारे पास ऐसे लोगों की कहानियां हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और हिम्मत के दम पर अच्छा मुकाम हासिल किया है. जिससे आज वो हमारे गाँव के लिए एक Role Model बन गए हैं.
तो, अभी उनके बारे में लिखकर हमें बतायें [email protected]

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